- सत्यम सिंह (7081932004)
लोकसभा के आम चुनाव की आहट को महीने बीते गए। टिकटार्थियों में आया राम-गया राम का नृत्य जारी है। नेताओं की जुबान फिसलती है। इनकी हरकतों को देखकर इन्हे बिना पेंदी का लोटा भी कहा जाता है। इनके लिए राजनीति जागीर है। खेती है। किसानी है। इसमें से अच्छी उपज के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाते हैं।
क्यों न अपनावैं, नेता जी हैं। इनके लिए झूठे वायदे, जनता के बीच जाकर अपने तरीके से मतदाताओं को भ्रमित करने जैसे लुभावने वायदे करना जुबान का फिसलना, खेत में अच्छी फसल व उपज के लिए यूरिया, डाई , सल्फर समय-समय पर पानी निकाई और गुड़ाई जैसा करना ही कहा जाएगा।
सभी दिल्ली के सवारों में शुमार हैं। इन्हें उम्मीद है कि दल-बदल कर इनके ‘डेस्टीनेशन टू दिल्ली’ बहुत आसान हो जाएगा। और ये देश की महापंचायत में पहुंचकर अपने तरीके से क्षेत्रहित, जनता हित और स्वहित का विशेष ख्याल रखेंगे।
हर बड़ा और छोटा नेता ऐसा ही कर रहा है। सभी की अलग-अलग ड्रामा कंपनियां हैं। जिनमें, हीरो-हिरोइन और मसखरा तथा संगीतकार सभी कुछ नेताजी के ही इशारे पर चलते हैं। किसी-किसी इस राजनैतिक कंपनी में हीरो-हिरोइन, मसखरा और वाद-यंत्रों को बजाने का काम अकेले नेता जी ही करते हैं।
आज-कल मीडिया में जिले के कई नेताओं के बारे में ऐसी खबरें प्रकाशित व प्रसारित हो रहीं हैं, जिन्हें पढ़कर आम जनता और आम आदमी के सेहत पर कोई फर्क पर नहीं पड़ने वाला है। अलबत्ता इन नेताओं का नाम लोगों को स्मरण हो जा रहा है। राजनैतिक गलियारे में भी इस तरह के नेताओं के कृत्य किसी बड़े उलटफेर जैसा उदाहरण नहीं प्रस्तुत कर सकते। क्योंकि -- पब्ल्कि है कि सब जानती है। न तो कोई विस्फोट होगा और न ही भूचाल आएगा। लेकिन, माननीय गण दल बदल लेंगे।
अटकलों का बाजार गर्म है। ऐसा क्यों न हो....। मीडिया में अटकलों का विशेष महत्व होता है। इनकी टीआरपी बढ़ती है और कुछ देर के लिए मीडिया का ब्रांड स्वंय चर्चित होकर चर्चा में रहता है।