बैंक ऑफ इंडिया अकबरपुर शाखा में आधार कार्ड के नाम पर लूट

बैंक ऑफ इंडिया अकबरपुर शाखा में आधार कार्ड के नाम पर लूट



अंबेडकरनगर: अगर आप सोचते हैं कि आधार कार्ड बनवाना एक आसान और सुलभ प्रक्रिया है, तो शायद आपने बैंक ऑफ इंडिया अकबरपुर शाखा का रास्ता नहीं पकड़ा। यहां आधार कार्ड के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है, जिसमें न सिर्फ सामान्य जनता बल्कि पत्रकारों तक को लूटा जा रहा है। सवाल यह है कि जब सरकार डिजिटल इंडिया और पारदर्शिता की बातें करती है, तो आखिर इस घिनौने भ्रष्टाचार पर अंकुश क्यों नहीं लगाया जा रहा?


यहां के आधार कार्ड ऑपरेटर और जनसेवा केंद्र संचालक ने मिलकर एक ऐसा भ्रष्टाचार का जाल बिछा लिया है, जिससे आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 500 से लेकर 1000 रुपये तक की रकम वसूली जा रही है, सिर्फ इसलिए कि लोग अपना आधार कार्ड बिना किसी झंझट के बनवा सकें। और अगर आप पैसे नहीं देते, तो इसका मतलब साफ है कि आपका आधार कार्ड न तो जल्दी बनेगा और न ही कोई 'मोदी जी' भी आपकी मदद करेंगे। यह घिनौनी साजिश खुलकर सामने आ चुकी है, लेकिन क्या कार्रवाई हो रही है?


यह सिर्फ आम जनता की नहीं, बल्कि पत्रकारों की भी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। जिनसे पैसे नहीं लिए जाते, उन्हें महीनों तक दौड़ाया जाता है और ऐसा लगता है जैसे सरकार का डिजिटल इंडिया सिर्फ इन भ्रष्टाचारी ऑपरेटरों के लिए ही है। जहां एक ओर सरकार 'सुगम आधार कार्ड' बनाने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर इस घोटाले के कारण जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


अब जनता में गुस्सा फूट पड़ा है, और वे ये सवाल उठा रहे हैं कि जब तक इस भ्रष्टाचार को खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक क्या कोई कार्रवाई की जाएगी? क्या बैंक ऑफ इंडिया अपने ऑपरेटर और जनसेवा केंद्र संचालक के खिलाफ कदम उठाएगा या फिर यह लूट का खेल यूं ही चलता रहेगा? 


जनता की आवाज अब बुलंद हो चुकी है और मांग की जा रही है कि इस घोटाले में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। इसके अलावा, लोगों का कहना है कि इस काम का ठेका किसी और विश्वसनीय और ईमानदार संस्थान को दिया जाए ताकि आधार कार्ड की प्रक्रिया में कोई भी नागरिक परेशान न हो। 


जनता का आक्रोश साफ है, अब देखना यह है कि क्या बैंक ऑफ इंडिया और प्रशासन इस भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाते हैं या फिर इस घिनौने खेल को यूं ही चलता रहने देते हैं।



जनसेवा केंद्र संचालक बन चुका है 'आका', प्रशासन क्यों चुप?



जिले में एक जनसेवा केंद्र संचालक ने आधार कार्ड की प्रक्रिया को एक बेजान लूट का खेल बना दिया है। पुरानी सीएमओ ऑफिस के पास स्थित यह जनसेवा केंद्र अब 'आधार कार्ड माफिया' के रूप में मशहूर हो गया है, और इसके संचालक को जिले और शहर भर में 'आका' के तौर पर जाना जाता है। वह अकबरपुर थाना कोतवाली क्षेत्र के एलआईसी गली, मोहनपुर का निवासी बताया जाता है, लेकिन उसकी करतूतें हर किसी को हैरान कर रही हैं।


इस शख्स के बारे में कहा जाता है कि यह व्यक्ति जिले भर के आधार कार्ड बनाने वाले अन्य फर्मों का भी सरगना है। किस तरह से यह विभिन्न प्रकार की छोटी-मोटी कमियां बताकर हजारों रुपये की अवैध वसूली करता है, यह किसी से छिपा नहीं है। आधार कार्ड बनाने और संशोधन के नाम पर लोगों से जो पैसे लिए जाते हैं, वह किसी के भी जेब में आग लगा सकते हैं। और अगर आप वसूली का विरोध करते हैं, तो वह सीधे कहता है, "मैं, पत्रकार हूं, मेरे सामने किसकी क्या ही मजाल?"


यह माफिया खुद को पत्रकार बताता है, और इसी को लेकर उसकी करतूतों के खिलाफ कोई आवाज उठाने की हिम्मत नहीं कर पाता। पत्रकार होने का चोला पहनकर वह अपनी हरकतों को छुपाने में माहिर है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब कोई खुद को पत्रकार बताकर कानून की धज्जियाँ उड़ाने लगे, तो फिर उसे क्या सजा मिलनी चाहिए?


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