वर्तमान सब रजिस्ट्रार ने लूट-खसोट का बनाया नया कीर्तिमान
अम्बेडकरनगर। कहने को तो अब लगभग हर कार्य ऑनलाइन होने लगा है। इस सुविधा के चलते जरूरतमन्द लोगों को सम्बन्धित सरकारी विभागों का चक्कर कम ही लगाना पड़ रहा है। विभागों में भ्रष्टाचार भी कम हो गया है। काम भी आसानी से हो रहा है, परन्तु हकीकत इसके विपरीत है। एक सरकारी महकमा ऐसा है जहाँ जमीन-जायदाद खरीद-फरोख्त करने वालों का साबिका बराबर पड़ता रहता है। यह है उपनिबन्धक/बैनामा दफ्तर। इस सरकारी महत्वपूर्ण विभागीय कार्यालय में बगैर सुविधा-शुल्क के जरूरतमन्दों की पत्रावली आगे नहीं सरकती और वहीं की वहीं रह जाती है। इसके लिए उन्हें विभागीय कार्यालय में अपनी पहुंच व धमक रखने वाले दलालों का सहारा लेना पड़ता है।
अकबरपुर का रजिस्ट्री दफ्तर भ्रष्टाचार के मामले में प्रदेश भर में अव्वल नम्बर पर आता है। यहाँ बिचौलियों व दलालों के बगैर कोई काम नहीं होता है। जमीन-जायदाद खरीद-फरोख्त करने में आवश्यक स्टाम्प और दस्तावेज लिखने तक के लिए भारी भरकम कीमत अदा करनी पड़ती है। बीते वर्ष 2021 से अब तक उपनिबन्धक कार्यालय अकबरपुर मीडिया की सुर्खियों में बना हुआ है। यहाँ सुविधा-शुल्क की रकम अदा न कर पाने वाले जरूरतमन्दों को कायदे-कानून का हवाला देते हुए उलझा दिया जाता है। जिसके चलते वे लोग परेशान होकर विभाग का चक्कर महीनों तक लगाते रहते हैं।
जमीनों की खरीद-फरोख्त में हेरा-फेरी, फर्जी रजिस्ट्री या अन्य अवैध कार्य दलालों व बिचौलियों के माध्यम से यहाँ बड़े आसानी से हो जाता है। उक्त बातें सक्रिय समाज सेवी नीलरत्न मणि ने कहीं। इस समाज सेवी के अनुसार वर्तमान उपनिबन्धक के पूर्व यहां रह चुके सब रजिस्ट्रार ने कमीशन व घूसखोरी का एक नया कीर्तिमान बनाया था, जो अप्रत्याशित, अनापेक्षित तो था ही साथ ही जमीन-जायदाद की खरीद-फरोख्त करने वालों के लिए कष्ट कारी भी रहा। निवर्तमान उपनिबन्धक (सब रजिस्ट्रार) जो इस समय ए.आई.जी. (स्टाम्प्स) प्रोन्नति पाकर बाह्य जनपद के लिए स्थानान्तरित हो गये हैं ने कमीशन व घूसखोरी का जो सिलसिला शुरू किया था उससे एकाध हाथ आगे बढ़कर वर्तमान के उपनिबन्धक कर रहे हैं।
नीलरत्न मणि के अनुसार लाखों-करोड़ों की बेशकीमती भूखण्डों, जमीन के टुकड़ों की फर्जी रजिस्ट्री करना अकबरपुर उपनिबन्धक कार्यालय के कर्मियों के बांये हाथ का खेल है। हेरा-फेरी में सभी कर्मचारी पारंगत और अनुभवी हैं। इनकी जेबें गरम करिये, कानों-कान किसी को खबर नहीं होगी और हर अवैध कार्य आसानी से हो जायेगा। जब भी अकबरपुर बैनामा दफ्तर से सम्बन्धित कोई भी खबर प्रकाशित या प्रसारित होती है तो इसकी पुष्टि के लिए सब रजिस्ट्रार से दूरभाषीय सम्पर्क हो पाना मुश्किल हो जाता है।
अकबरपुर बैनामा दफ्तर में चतुर्थ श्रेणी से लेकर विभागाध्यक्ष तक सभी पैसा कमाई में लिप्त हैं। इनकी कार्य प्रणाली में कोई बदलाव नहीं आया है। देश की आजादी से अब तक यह विभाग आम जनमानस में भ्रष्टतम विभाग के रूप में अपनी पहचान बनाये हुए है। मौजूदा उपनिबन्धक की कार्यप्रणाली से प्रतीत होता है कि इन्होंने जिले के हाकिम और अन्य उच्चाधिकारियों ही नहीं प्रदेश सरकार में भी अपनी अच्छी पैठ बना रखा है। जिला स्तर से लेकर सत्ता के गलियारों में अपनी अच्छी पैठ रखने वाले बैनामा दफ्तर के मुखिया यानि सब रजिस्ट्रार ने विभागीय कार्यालय के सभी कर्मियों को लूट-खसोट की पूरी छूट दे रखा है।
अकबरपुर रजिस्ट्री ऑफिस के अन्दर और इसके बाहर दलालों और बिचौलियों का जमावड़ा खरीद-फरोख्त करने वाले जरूरमन्दों की जेबें ढीली करने में लगा हुआ है। यहाँ कोई कार्य सीधे नहीं होता। बिचौलियों और दलालों को सुविधा-शुल्क देने के बाद ही कार्यालय के पटलों के सहायक काम में रूचि लेते हैं। यहां हर कार्य के लिए सुविधा शुल्क निर्धारित है। उसी का काम पहले और प्राथमिकता के आधार पर होता है जो सुविधा-शुल्क देता है।
मौजूदा सब रजिस्ट्रार के बारे में यह आम चर्चा है कि इनसे बड़ा भ्रष्ट और घूसखोर सब रजिस्ट्रार कोई नहीं आया था। इन्होंने कमीशन खोरी व सुविधा-शुल्क वसूली का जो कीर्तिमान बनाया है वह शायद ही कोई बना पाये। स्टाम्प वेण्डर, दस्तावेज लेखक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और सहायकों तक से धन का दोहन करने वाले वर्तमान सब रजिस्ट्रार से आम आदमी बात भी नहीं कर पाता है। इस सत्ता पहुंच वाले अधिकारी को न तो जिले के बड़े हाकिम का भय है और न ही विभाग के उच्चाधिकारियों का।
समाजसेवी नीलरत्न मणि ने आरोप लगाया है कि वर्तमान सब रजिस्ट्रार अपने स्वजातीयों, प्रभावशाली लोगों, माननीयों तथा ब्राण्डेड मीडिया परसन्स के अलावा अन्य को कोई तवज्जो नहीं देते। विश्ववार्ता ने इस बावत जब अकबरपुर उपनिबन्धक से सम्पर्क करना चाहा तो उनसे सम्पर्क सम्भव नहीं हो सका।