अकूत संपत्ति के स्वामी इस बाबू के चल अचल सम्पत्तियों की जांच जरूरी
अम्बेडकरनगर। जिले के हेल्थ महकमा के मुखिया सीएमओ कार्यालय में २० साल से अधिक समय से जमा और अकूत कमाई करने वाला कथित दबंग एवं प्रभावशाली सहायक इस समय खूब चर्चा में है । स्वास्थ्य विभाग का यह मुलाजिम जिसका खुद का अपना खर्चा अकेले पर 4 से 6 हजार रूपए प्रतिदिन का है, एक राजा की जिंदगी जी रहा है। यह सहायक अपने विभागाध्यक्ष का चहेता बना हुआ धन कमाई में मशगूल हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुखिया सी.एम.ओ. ऑफिस में तैनात एक सहायक ने तो मीडिया की सुर्खियों और जुबानी चर्चाओं में रहने का सभी कीर्तिमान ध्वस्त कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार इस महाचर्चित बाबू के पास दर्जनों महत्वपूर्ण पटल है।
बताया गया है कि इसका याराना प्रदेश की राजधानी में रह रहे एक ऐसे मीडिया परसन से है जिसका सम्बन्ध मुख्यमंत्री से है। यही वजह है कि अम्बेडकरनगर के सीएमओ कार्यालय के इस महाचर्चित सहायक के ऊपर मीडिया में छपी इसके द्वारा किए जा रहे मनमाने पन से संबंधित खबरों का कोई असर नही होता। इस महकमे में 20 साल से अधिक की अवधि से मृतक आश्रित कोटे से सहायक के रूप में नियुक्त हुए स्थानीय बाबू का जलवा है।
सूत्रों के अनुसार इसने स्वास्थ्य महकमे की नौकरी के 20 सालों में अकूत दौलत बना लिया है। अकबरपुर, शहजादपुर के अलावा प्रदेश के कई बड़े शहरों में कीमती भूखंडों, मिल फैक्ट्रियों का स्वामी इस बाबू ने अपने तमाम रिश्तेदारों के नाम अनेकों व्यवसाय में धन निवेश कर रखा है। अक्लमंद और शातिर दिमाग का यह व्यक्ति जिले के सबसे धनी व्यक्तियों में शुमार बताया गया है। इसके लाखों करोड़ों के व्यवसायिक प्रतिष्ठान पत्नी, बच्चों, भाई, भतीजों के नाम से स्थापित/संचालित हो रहे हैं। समस्त सुख सुविधा संपन्न इस सरकारी कर्मचारी के पास अनेकों लग्जरी गाडियां,आलीशान आवासीय भवन, बड़े एवम भव्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान इसके द्वारा की जा रही अवैध कमाई की कहानी कह रहे हैं।
बीते वर्ष 2021के जुलाई महीने में हुए व्यापक तबादले की जद में यह ग्रेट पॉपुलर एण्ड डिस्प्यूटेड सहायक भी आया परन्तु कथित रूप से फर्जी तौर पर दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर इसने शासन और विभाग के उच्चाधिकारियों को गुमराह कर दिया और अपना तबादला रोकवा लिया। बताते हैं कि स्वास्थ्य महकमे में कई दर्जन चार पहिया वाहन इसी के इशारे पर इसके लोगों के अनुबन्धित किये गये हैं।इनमे अधिकांश इसके ही हैं।
जिले के स्वास्थ्य महकमे में पीएचसी, सीएचसी और अन्य बड़े सरकारी अस्पतालों में आवश्यक उपकरण, दवाएँ, कुर्सी-मेज, बिस्तर, मरीजों के चद्दर आदि आपूर्ति किए जाने का जिम्मा इसी महान सहायक को मिला हुआ है। विभाग के अन्य सहायक व कर्मचारी जो इस चर्चित बाबू के उत्पीड़न का शिकार हैं, कहते हैं कि जब एक ही बाबू पूरे विभागीय कार्यालय का कार्य संभाल रहा है और हम लोगों को कोई पटल दिया ही नहीं गया तो क्या औचित्य है कि हम लोग यहां रहें। स्वास्थ्य महकमे का मुखिया इस बाबू की पहुंच और प्रभाव तथा दबंगई के आगे कुछ भी कर पाने में अक्षम है।
इस सहायक के बारे में स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विभाग से सम्बन्धित सामग्रियां, दवायें, फर्नीचर, अन्य उपकरण जिले में इसी के हित-मित्रों, ठेकेदारों व छद्म नाम से खोली गई फ्रेन्चाइजीज द्वारा आपूर्ति कराई जाती है। इस तरह लाखों-करोड़ों रूपए प्रति वर्ष की कमाई होती है। जिसका कमीशन यह बाबू अपने मीडिया मित्र और विभाग के अधिकारियों में बांट देता है।
2020 कोरोना काल में इस स्वास्थ्य विभाग के बाबू के कारखानों निर्मित मास्क, बेडसीट और अन्य आवश्यक स्वास्थ्य सामग्रियों की जो सप्लाई शुरू हुई वह अभी तक जारी है। सूत्रों के अनुसार इस बाबू के कारनामों का जब-जब स्थानीय मीडिया ने जिक्र करते हुए सम्बन्धित खबरों का प्रकाशन व प्रसारण किया तब-तब लखनऊ में बैठे सी.एम. कार्यालय और आवास में अपनी पहुंच रखने वाले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रदेश ब्यूरो ने इसको बचाया है। और यह भी कहा है कि तुम अपना काम बेधड़क पूर्व की भांति करते रहो। जब तक मैं हूं तब तक जिले के अधिकारी से लेकर प्रदेश स्तर के अधिकारी तक कोई तुम्हारा कुछ नहीं कर पायेगा।
सूत्रों के अनुसार बॉलीवुड के स्टार सलमान खान के प्रतिदिन भोजन का खर्च 8 से 10 हजार होता है वहीं यह सहायक 4 से 6 हजार रूपए प्रतिदिन खाने-पीने में खर्च कर देता है। हर शाम इसके कारखाने, फैक्ट्री के कमरों में इसके मीडिया के घनिष्ठ मित्रों, प्रभावशाली ठेकेदारों एवं अन्य दबंग लोगों का जमघट होता है। जहाँ हन्ड्रेड पाइपर्स नामक महंगी शराब और लजीज नॉनवेज भोजन का लुत्फ उठाया जाता है।
इस कारखाने के इर्द-गिर्द दर्जनों लग्जरी गाड़ियां हर शाम आकर खड़ी हो जाती हैं और खाने पीने का सिलसिला देर रात तक चलता रहता है। इस पर आने वाला खर्चा इस स्वास्थ्य विभाग के मुलाजिम द्वारा उठाया जाता है। कहते हैं कि खाने-पीने, पहनने, ओढ़ने आदि क्रियाओं में हजारों रूपए प्रतिदिन खर्च करने वाले इस मुलाजिम द्वारा प्रतिमाह 2 से ढाई लाख रूपए अपने दोस्त मण्डली को खाने-खिलाने में खर्च किया जाता है। इस धन कुबेर बाबू को बटवृक्ष कहा जाये या फिर अंगद का पांव, दोनों विशेषण इस पर चरितार्थ होंगे।
