…जनाब ये भी इंसान हैं: तपती धूप में गर्मी की मार सहने को मजबूर है यातायात कर्मी

…जनाब ये भी इंसान हैं: तपती धूप में गर्मी की मार सहने को मजबूर है यातायात कर्मी

- सत्यम सिंह

अंबेडकरनगर(रेनबोन्यूज समाचार सेवा) जिले में ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी निभाने वालो को तपती धूप में गला सूखने पर पानी को चहरे पर गिरा कर और दो घूट : के साथ इस गर्मी में राहत लेते हैं, वही आज के परिवेश में जहा यातायात पुलिस का मुख्य कार्य में यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाना है. दुर्घटना होने पर भी यातायात पुलिस व्यवस्था संभालती है

एंबुलेंस बुलाती है, वीआईपी दौरे पर भी शहर के रूट का डायवर्जन करना हो वाहनों की चेकिंग करनी हो आवागमन को सुचारू रूप से चलाना हो, राजनीतिक संगठन का रैली, रोडशो ..इन सब पर भी यातायात पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था को देखती है ताकि ऐसे कार्यक्रमों से आम जनमानस को दिक्कतों का सामना ना करना पड़े. गर्मी सर्दी बरसात आंधी तूफान कोई भी मौसम हो कोई भी परिस्थिति हो ट्राफिक
पुलिस दिन रात पब्लिक के लिए खड़ी रहती है।

 जनपद मुख्यालय पर कड़ी धूप में ड्यूटी करने के बाद सुकून की एक घुट छांव की तलाश में या तो किसी दुकान का सहारा या बाउंडरी वाल का. परे शहर में कही धूप से बचने के लिए इन लोगो के लिए कोई सुविधा नहीं है, वही ट्रैफिक सिस्टम पर सवाल उठते है पर कोई एक बार सोचता नहीं की ये डियूटी किस परिस्थिति में कर रहे है यानि सुबह से शाम तक पीं, पीं के आवाज और ऊपर से तेज धूप और जमींन की तपन, ना छुपने की जगह ना पानी की, और इनपर अधिकारियो का रुआब इस कदर की मनो एक दिन में पूरा सिस्टम सूधार देंगे, 70% लोग बदलना नहीं चाहते पर दूसरों पर सवाल करना जरूर जानते है। 

जनपद के जिम्मेदार अधिकारियों की नजर कभी भी इस व्यवस्था पर नहीं पड़ी इनके लिए पुलिस बूथ की आवश्यकता है। जहां पर यह जाकर 2 मिनट बैठकर गर्मी और बरसात से राहत पा सके। देखना यह है जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की नजर व्यवस्था कब पड़ती है या इसी प्रकार तपती धूप में ड्यूटी करने को मजबूर होंगे यातायात कर्मी।

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