कोटेदारों से प्रतिमाह बंधी रकम मिलने से उन पर कृपा बरसाते हैं पूर्ति विभाग के अधिकारी

कोटेदारों से प्रतिमाह बंधी रकम मिलने से उन पर कृपा बरसाते हैं पूर्ति विभाग के अधिकारी


कोटेदार विरोधी शिकायतों को किया जाता है नजरन्दा 

तीन से पाँच हजार रूपए प्रतिमाह कोटेदारों से विभाग द्वारा की जाती है वसूली

पूर्ति विभाग की प्रतिमाह अवैध कमाई 30 लाख से अधिक 

अम्बेडकरनगर। बीते वर्ष से वर्तमान में जिले के पूर्ति महकमे की खबरें प्रमुखता से इण्टरनेट/सोशल मीडिया पर प्रकाशित व वायरल हो रही हैं। जिले के पाँच तहसील व नौ ब्लाक के 1128 ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत कार्डधारकों को राशन एवं अन्य सामग्री समय-समय पर दी जाती है। हालांकि पूरे जिले के कार्डधारकों में इस बात को लेकर व्यापक रूप से असन्तोष देखा जा रहा है कि उन्हें समय पर सरकारी/विभागीय निर्देशानुसार वजन तौल का राशन नहीं मिल पा रहा है। 

पिछले जनवरी माह से अब तक जिले के अनेकों कोटेदारों की करतूते मीडिया में सुर्खियां बटोर रही हैं। जिले के जलालपुर, आलापुर, टाण्डा, अकबरपुर, भीटी तहसील क्षेत्रों में कोटेदारों द्वारा की जा रही घटतौली/कटतौली और कार्डधारकों से अभद्रता आदि मामले चर्चा का विषय रहे हैं। चाहे वह जलालपुर का अशरफपुर मजगवां हों, टाण्डा का फरीदपुर कुतुब हो, कटेहरी का आदमपुर तिन्दौली हो या अकबरपुर का कैथी नसीरपुर हो, आलापुर का पकड़ी भोजपुर हो इन सबके कार्ड धारक कोटेदारों के उत्पीड़न का शिकार हैं। 

कोटेदारों के उत्पीड़न से क्षुब्ध और राशन पाने से वंचित कार्ड धारकों द्वारा तहसील व जिला स्तर पर अनेकों बार धरना-प्रदर्शन किया गया है। इन सबके बावजूद जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन और जिला पूर्ति अधिकारी द्वारा कुछ भी ऐसा नहीं किया गया है जिससे आन्दोलित कार्ड धारकों को न्याय और राहत मिल सके। कुल मिलाकर जिले में राशन कार्ड धारकों की हालत दुर्दशाग्रस्त हो गई है। इनके साथ कोटेदार जहाँ कथित रूप से घटतौली/कटतौली और अभद्रता करके अन्याय कर रहा है वहीं दूसरी तरफ प्रशासनिक और विभागीय जिम्मेदार अधिकारी गण इनकी शिकायतों की सर्वथा अनदेखी करते हुए इनके साथ मजाक सा कर रहे हैं। 

जिले के कई समाजसेवियों ने जिला पूर्ति महकमे के बारे में यह कहा है कि यह विभाग भ्रष्टाचार में आकण्ठ डूब गया है। सप्लाई इंस्पेक्टर्स, कार्यालय के बाबू, एआरओ और जिलापूर्ति अधिकारी हर कोई सरकारी योजना के क्रियान्वयन में मनमाना कर रहे हैं। यही कारण है कि सरकार की किसी भी योजना के अन्तर्गत कार्ड धारकों को राशन व अन्य सामग्रियां आसानी से नहीं मिल पा रही हैं। कोटेदार और दलालों के बीच गरीब कार्डधारक पिसकर रह गया है। इस समय अनेकों राशन की दुकानों पर कचरायुक्त, गन्दा खाद्यान्न मिल रहा है। साथ ही प्रति यूनिट एक किलो राशन की कम तौल भी की जा रही है। 

राशन की कम तौल के बारे में कोटेदारों का कहना है कि ऊपर से ही अधिकारियों द्वारा मौखिक कहा गया है कि प्रतियूनिट एक किलो कम तौल कर अपना घाटा-मुनाफा एडजस्ट कर लो। अधिकारियों के इस मौखिक निर्देश का कोटेदार अनुपालन कर रहे हैं। यह बात दीगर है कि इस घटतौली/कटतौली के बारे में कोई ऐसा आदेश सरकार या विभाग द्वारा नहीं दिया गया है। 

समाजसेवी नीलरत्न मणि के अनुसार जिले के सप्लाई महकमे में व्यापक रूप से भ्रष्टाचार फैला हुआ है। जिले के कोटेदारों से 3000 से 5000 तक प्रति माह विभाग द्वारा वसूली की जाती है। गरीबों का राशन और उनके मुँह का निवाला से सप्लाई विभाग प्रतिमाह पूरे जनपद से लगभग 30 लाख की अवैध वसूली करता है। कोटेदार कम राशन देकर जहाँ अवैध कमाई कर रहे हैं वहीं विभाग के अफसरों की भी जेबें भर रही हैं। नीलरत्न मणि ने कहा कि कोटेदारों से पूर्ति महकमा के अधिकारी लाखों की अवैध कमाई करते हैं इसीलिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। 

जिले के सभी तहसीलों में स्थित पूर्ति विभाग के कार्यालयों में भ्रष्टाचार का बोलाबाला है। हर जगह दलालों की भरमार है। जलालपुर, आलापुर, टाण्डा, अकबरपुर और भीटी तहसील क्षेत्रों में पूर्ति विभाग मे व्याप्त भ्रष्टाचार क्रमानुसार कुछ इस प्रकार हैं। जिसमें जलालपुर अव्वल, दोयम आलापुर, तीसरे नम्बर पर टाण्डा, चौथे पर अकबरपुर और पांचवे नम्बर पर भीटी है। आरोप है कि इस तरह के भ्रष्टाचार को डीएसओ राकेश कुमार ने बढ़ावा दे रखा है। उन्हीं के इशारे और दिशा-निर्देश पर विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मचारी लूट-खसोट मचाये हुए हैं। गरीब जनता के मुंह का निवाला अपने-अपने पेटों में उदरस्थ कर रहे हैं। एआरओ प्रथम और द्वितीय के बारे में कहा जाता है कि इनको अपनी कमाई से मतलब। विभाग की छवि धूमिल हो या माटी में मिले इससे इन्हें कोई सरोकार नहीं। 

जिले में हर माह कोटेदारों द्वारा की जा रही हेराफेरी के सम्बन्ध में खबरें सार्वजनिक होती रहती हैं। बावजूद इसके कोटेदारों की शिकायतों विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं। उनकी चुप्पी परोक्ष रूप से यह साबित करता है कि कोटेदार और अधिकारी मिलकर गरीबों का राशन अपने-अपने हितार्थ उपयोग कर रहे हैं। विभागीय कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। मीडिया मैनेज करके विभागीय अधिकारियों द्वारा अपने पक्ष में पॉजिटिव खबरों का प्रकाशन व प्रसारण करवाया जाता है। इनके द्वारा ऐसा किया जाना स्वयं की पीठ थपथपाने जैसा है। 

डीएसओ राकेश कुमार से एक किलो प्रति यूनिट राशन कम दिये जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कोटेदार झूठ बोल रहा है। ऐसा कोई सरकारी आदेश व विभागीय निर्देश नही है। यदि ऐसा होता तो इसका प्रमाण मांगने पर कोटेदार द्वारा पुष्टि हेतु दिखाया जा सकता था। 

उधर जिला कोटेदार संघ के एक पदाधिकारी ने कहा कि विभाग द्वारा राशन वितरण में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। सारा दोष कोटेदारों पर मढ़ दिया जाता है। कोटेदार कार्डधारकों को पूरे वजन का राशन कहां से दें जबकि उन्हें गोदाम से ही कम तौल का राशन मिलता है। 

कुछ भी हो पूरे जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली बेलगाम हो गई है। सम्बन्धित विभाग और लोग मनमाना कर रहे हैं। राशन वितरण का कोई निश्चित समयावधि नहीं है। कितना राशन कब, किसको मिलना चाहिए इसके बावत कोटेदार कुछ भी स्पष्ट नहीं कहता है। उनका बस इतना ही कहना होता है जो मिल रहा है लेना हो तो लो नहीं तो जाओ। यह सब सरकारी और विभागीय निर्देशों के अनुसार हो रहा है। ज्यादा चूं-चपड़ मत करो। चुप-चाप जो मिले ले लो नहीं तो इससे भी हाथ धो बैठोगे। 

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