शिबन कृष्ण रैणा के विचार

शिबन कृष्ण रैणा के विचार


जिस तरीके से पिछले कुछेक वर्षों के दौरान हिन्दू वोटों का तेज़ी और सार्थक गति से ध्रुवीकरण हुआ है और सरकारें भी बनने लगी हैं, उससे अन्य दलों के मालिकान को लगने लगा है कि इस वोट-बैंक में बड़ी ताकत है और अब सेक्युलर बनकर इस ताकत को अनदेखा नहीं किया जा सकता।


नतीजतन मंदिरों और शिवालयों में धौक देना अब इन दलों के नेताओं की मजबूरी बन गयी है।पहले जिस बात से खुले तौर पर ये लोग परहेज़ करते थे, अब व्यवहारकुशल बनकर उसी बात पर अमल कर रहे हैं।वोट-बैंक सत्ता दिलाता है,शायद इस लिए।जनेऊ धारण करने के बाद शायद अब ये लोग काँवड भी उठाने लग जाएँ। 


भारतीय जनमानस ख़ास तौर पर ग्रामीण अंचलों में धर्म-कर्म की परम्परावादी छाप अब भी बनी हुयी है, इस बात को हमें समझना होगा।



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