- पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड के सर्वाधिक चर्चित जेई प्रकरण में निष्पक्ष जांच हो
- जिलाधिकारी का ध्यान जेई प्रकरण को गंभीरता से लेने हेतु आकृष्ट किया गया है
- इनके द्वारा अर्जित चल अचल संपत्तियों के जांच की भी जोरदार मांग
- सत्यम सिंह
अंबेडकरनगर। जिले के लोक निर्माण विभाग (निर्माण खंड) में तैनात एक जेई मीडिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं।मीडिया की खबर के अनुसार यह जेई इस जिले में एक लंबे अरसे से कार्यरत हैं। खबर है कि पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड के एक्स इएन के चहेतों में शुमार जेई का तबादला पिछले साल हो गया था।इसी जिले में बने रहने हेतु जेई ने मुंह मांगी रकम देकर अपना ट्रांसफर पुनः जिले के पीडब्ल्यूडी पीएमजीएसवाई में करवा लिया। इन्हे विभाग के आला हाकिम ने निर्माण खंड में संबद्ध कर दिया।
बताया गया है कि अब इनके पास जिले की दो विधान सभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा लंबा इलाके का जिम्मा है। इसी के साथ इन्हे जिले की दो नगर निकायों का भी कार्य भार दिया गया है। कई सालों तक पीडब्ल्यूडी के निर्माण खंड में तैनात रहे इस जेई को विभागीय कार्यों की सभी जानकारियां का अनुभव है। विभाग के अन्य कई अनुभवी जेई इसकी हैसियत,प्रभाव और पहुंच के आगे नत मस्तक होकर रह गए हैं।
यह एक सर्वाधिक धन कमाऊ अवर अभियंता बताए जाते हैं। इनकी कार्य शैली से विभाग के हाकिम तो खुश हैं ही, साथ ही इन्हे ठेकेदारों का प्रिय सहयोगी और शुभ चिंतक भी कहा जाता है। प्रश्न उठता है कि पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड में कई अनुभवी और योग्य जेई हैं, तब क्यों इन्हे फिर से इस खंड में संबद्ध कर दिया गया।
कहा जाता है कि यूपी की योगी सरकार में भी लोक निर्माण विभाग में नियमों और नीतियों की अनदेखी की गई है। ऐसा करके एक तरह से योगी सरकार को चुनौती दी गई है। इस जेई की तैनाती, खाऊ कमाऊ नीति, ठेकेदारों से याराना, विभाग के हाकिम की इसके प्रति दरिया दिली की चर्चा जोरों पर है।
कई सोशल वर्कर्स ने जिलाधिकारी से मांग किया है कि पीडब्ल्यूडी निर्माणखंड के चर्चित जेई प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए जांच कर उचित एवम आवश्यक कार्यवाही करें। यह भी मांग है कि पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड के इस जेई द्वारा अर्जित संपत्तियों (चल अचल) की तटस्थ एजेंसी से निष्पक्ष जांच हो।
