अम्बेडकरनगर। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार गुरुवार को बाल सम्प्रेक्षण गृह, अयोध्या में विधिक साक्षरता शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर में किशोर न्याय, बाल अधिकार, बाल श्रम निषेध और मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना जैसे विषयों पर जानकारी दी गई।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता अपर जिला जज/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव भारतेन्दु प्रकाश गुप्ता ने की।
इस शिविर में उपस्थित न्यायिक अधिकारियों ने बताया कि किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को किशोर माना जाता है। किशोर न्याय प्रणाली का मकसद सुरक्षा, पुनर्वास और कौशल विकास पर ध्यान देना है, न कि केवल दंड देना। कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी किशोर के साथ जाति, धर्म, लिंग या उम्र के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। प्रत्येक किशोर को न्यायिक प्रक्रिया, चिकित्सा और पुनर्वास में समानता की गारंटी दी गई है।
न्यायिक अधिकारियों ने बच्चों को उनके मौलिक अधिकारों के बारे में बताया जीवन का अधिकार – हर बच्चे को जीने का हक। भोजन और पोषण – पर्याप्त पोषण प्राप्त करने का अधिकार। शिक्षा और स्वास्थ्य – उच्चतम स्तर की शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं। सुरक्षा का अधिकार – किसी भी शोषण, बाल मजदूरी या हिंसा से बचाव। परिवार और पहचान – अपने माता-पिता और राष्ट्रीयता की पहचान रखने का अधिकार।
शिविर में बाल श्रम निषेध कानून और मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के बारे में भी जानकारी दी गई। बताया गया कि बाल श्रम पूर्ण रूप से अवैध है और यदि कोई बच्चा जबरन काम करने को मजबूर किया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत अनाथ बच्चों को आर्थिक सहायता और शिक्षा का विशेष प्रावधान किया गया है।
यदि किसी व्यक्ति को विधिक सहायता या कोई कानूनी जानकारी चाहिए, तो वह राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की टोल-फ्री हेल्पलाइन 15100 पर कॉल कर सकता है। एलएसएमएस पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकता है।
शिविर के दौरान शेल्टर होम्स निरीक्षण समिति ने बाल सम्प्रेक्षण गृह और नारी शरणालय, अयोध्या का दौरा किया। निरीक्षण में स्वच्छता, खान-पान, स्वास्थ्य सेवाओं और मनोरंजन सुविधाओं की जांच की गई।
बदलते मौसम के अनुसार विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए। यदि कोई किशोर बीमार हो तो उसे अविलंब चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए। किशोरों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनी गईं और उनके अधिकारों की जानकारी दी गई। यदि किसी किशोर के पास अधिवक्ता नहीं है, तो वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से निःशुल्क वकील प्राप्त कर सकता है।
