अंबेडकरनगर (रेनबो न्यूज़ नेटवर्क) । पवित्र श्रवणक्षेत्र धाम में 15 दिसंबर से शुरू होने वाले ऐतिहासिक मेले की तैयारी अपने शिखर पर है। आस्था और आनंद का यह संगम इस बार कुछ खास होगा, क्योंकि 14 दिसंबर को दीपोत्सव के रूप में इसकी शुरुआत की जाएगी। दीपों की जगमगाहट, रंग-बिरंगी सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम से यह धाम एक दिव्य अनुभव का केंद्र बनने जा रहा है।
श्रवणक्षेत्र धाम न्यास समिति के अध्यक्ष अनुपम पांडेय की नेतृत्व क्षमता और समर्पण ने इस आयोजन को विशेष बनाया है। उनके प्रयासों से मेला क्षेत्र को आधुनिक सुविधाओं से सजाया जा रहा है। अनुपम पांडेय का कहना है, "श्रवणक्षेत्र धाम का यह मेला केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आस्था और संस्कृति का उत्सव है। हमारा उद्देश्य श्रद्धालुओं को एक ऐसा अनुभव देना है जिसे वे हमेशा याद रखें।"
14 दिसंबर को होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम में दीपों की पंक्तियों से पूरा श्रवणक्षेत्र धाम जगमगाएगा। इसके साथ ही भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियां श्रद्धालुओं का मन मोह लेंगी। महंत बच्चीदास ने बताया कि कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
मेले के दौरान अंबेडकरनगर, अयोध्या, सुल्तानपुर और गोंडा समेत अन्य जिलों से हजारों श्रद्धालु संगम तट पर स्नान करेंगे। मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए लंबी कतारें लगेंगी। संगम तट और सरोवर की सफाई का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है। मंदिरों को नए रंगों से सजाया गया है, जो मेले में आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगे।
मेले में पहुंचने वाली दुकानें और झूले यहां के वातावरण को जीवंत बना रहे हैं। खजला मिठाई से लेकर खिलौने, बर्तन और अन्य आकर्षक वस्तुओं की दुकानों ने मेले की चमक बढ़ा दी है। बच्चों और युवाओं के लिए बड़े झूले खास आकर्षण का केंद्र बन गए हैं।
श्रवणक्षेत्र धाम न्यास समिति के अध्यक्ष अनुपम पांडेय इस आयोजन के पीछे प्रेरक शक्ति हैं। उनकी दूरदर्शिता और निष्ठा ने इस मेले को न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक नवाचार का प्रतीक बना दिया है। उनके नेतृत्व में यह मेला श्रद्धालुओं को परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत मेल दिखाएगा।
पवित्र श्रवणक्षेत्र धाम इस बार श्रद्धालुओं के लिए न केवल आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि उन्हें ऐसा अनुभव देगा जो उनके दिलों में लंबे समय तक बसे रहेगा। दीपों की रोशनी और मेले की रौनक एक नई कहानी लिखने के लिए तैयार है।
