अम्बेडकरनगर : नगर पालिका के राजस्व निरीक्षक ने मजिस्ट्रेट पर कार्यवाही न किए जाने का लगाया आरोप

अम्बेडकरनगर : नगर पालिका के राजस्व निरीक्षक ने मजिस्ट्रेट पर कार्यवाही न किए जाने का लगाया आरोप


मामला नगर पालिका क्षेत्र में स्थित तालाबों पर निर्माण कराकर अतिक्रमण किये जाने का

अम्बेडकरनगर। (रेनबोन्यूज समाचार सेवा)। नगर पालिका परिषद अकबरपुर की उदासीनता के चलते शहर में तालाब की भूमि पर हो रहे कब्जे भी इस से अछूते नहीं रहे है। नगर के कस्बा शहजादपुर के शिक्षक कॉलोनी में मौजूद दो तालाब की भूमि पर हो रहे कब्जे को लेकर शासन-प्रशासन तथा स्थानीय अधिकारी, जनप्रतिनिधि उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। तालाब अपनी बदहाली पर आंसु बहा रहे हैं। नगर के बड़े तालाब में अतिक्रमण की अनदेखी कर होने वाले निर्माण कार्यों के कारण दिन-ब-दिन तालाब का आकार सिकुड़ता जा रहा है। लेकिन इस तालाब की किसी को कोई परवाह ही नहीं है।सूत्रों की मानें तो नगर पालिका और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के कारण अतिक्रमण बढ़ा है। 

राजनीतिक दलों के कुछ प्रतिनिधि अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए अतिक्रमण करने वालों को संरक्षण प्रदान करते रहे हैं।  लेकिन रसूखदारों के द्वारा किए गए अतिक्रमण को लेकर प्रशासन लापरवाह बना हुआ है। लोगों द्वारा बताया गया कि सरकारी दस्तावेजों में हेर-फेर कर तालाब की जमीन को भूमिस्वामी मद में भी बदल दिया गया है, बहरहाल, यह जांच का विषय है। इस मामले की जांच होने पर ही दूध का दूध और पानी का पानी होने की बात जानकार कह रहे हैं।जानकार बताते हैं कि एक दौर था जब बड़ा तालाब नगर में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए था। लेकिन आज तालाब की भूमि पर अतिक्रमण होने की वजह से तालाब अपने अस्तित्व को खोने जा रहा है। 

तालाब की भूमि पर कब्जा करने से तालाब नष्ट होने की कगार पर आकर खड़ा हो गया है।यहां तक कि आज भी सार्वजनिक जमीनों पर दबंग निर्माण आदि कराने से नहीं हिचक रहे हैं। खासकर अतिक्रमण और कब्जा हटाने के मामले में राजस्व विभाग के अधिकारी उदासीनता बरतते हैं और बहानेबाजी कर मामले को लटकाने का काम करते हैं। इस संदर्भ में नगर पालिका के राजस्व निरीक्षक से वार्ता करने के बाद स्पष्ट रूप से मजिस्ट्रेट की लापरवाही का कारण बताया गया और यह कहा गया कि मजिस्ट्रेट द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही ना होने के कारण नगर पालिका की भूमि पर कब्जे किए जा रहे हैं। 

नगर में बढ़ती जनसंख्या एवं व्यवसायीकरण ने तालाब किनारे खाली जगह पर अतिक्रमण को बढ़ावा दिया है। स्थानीय व्यावसायी इमारत खड़ा कर रहे हैं, तो कई लोग कचरा डालकर तालाब को नष्ट कर रहे हैं। कब्जे के इस खेल में थर्ड एंपायर पूरी तरह फेल है। उच्च अधिकारियों का आदेश मिलने के बाद अतिक्रमण पर कार्रवाई के नाम पर महज कागजी खानापूर्ति ही हो रही है।

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