बलिया : ईओ रसड़ा गिरफ्तार

बलिया : ईओ रसड़ा गिरफ्तार

रसड़ा। नगर पालिका परिषद कार्यालय में उस समय अफरातफरी मच गई, जब चंदौली पुलिस ने सोमवार की दोपहर अधिशासी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया। ईओ को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस उन्हें अपने साथ लेती गई। बाद में स्थानीय पुलिस ने बताया कि अधिशासी अधिकारी चंदौली में कांशीराम आवास में अनियमितता मामले में आरोपी है। उनके खिलाफ वहां मुकदमा दर्ज हैं। 






वर्ष 2011 में कांशीराम आवास आवंटन में अनियमितताएं पाई गयी थीं जिसमें तत्कालीक प्रशासनिक अधिकारियों सहित कुल लगभग 42 लोगों पर चल रही है जांच की कार्रवाई बलिया (balia)। आदर्श नगर पालिका परिषद रसड़ा के अधिशासी अधिकारी को आवास घोटाले (housing scam) में चन्दौली पुलिस ने सोमवार को उनके कार्यालय से गिरफ्तार कर लिया । अचानक हुई इस गिरफ्तारी से कार्यालय में अफरा तफरी मच गई। ई ओ को अचानक गिरफ्तार होते ही कोई समझ नहीं पाया की क्या मामला है गिरफ्तारी क्यों हुई है।


जानकारी के अनुसार वर्ष 2011 में राजेंद्र प्रसाद चंदौली नगर पालिका में अधिशासी अधिकारी(Executive Officer) के पद पर तैनात थे और उस समय कांशीरम आवास आवंटन में अनियमितताएं पाई गयी थीं जिसमें तत्कालीक प्रशासनिक अधिकारियों सहित कुल लगभग 42 लोगों पर जांच की कार्रवाई चल रही थी। जिसमे ई ओ राजेन्द्र प्रसाद भी आरोपी है। चंदौली पुलिस सोमवार की दोपहर में रसड़ा कोतवाली पहुंची और अधिशासी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद से सम्बंधित जानकारी देने के बाद दफ्तर से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद पुलिस चन्दौली लेकर चली गयी। सीओ रसड़ा एस एन बैस ने बताया की ई ओ को चंदौली पुलिस गिरफ्तार करके ले गई है


इस मामले के वादी चंद्रमोहन सिंह के द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चंदौली के न्यायालय में 156 (3) के तहत पेश किए गए प्रार्थना पत्र के आदेशानुसार 15 मई 2013 को चंदौली कोतवाली में यह प्राथमिकी दर्ज की गई थी और उसमें नगर पंचायत व चंदौली तहसील तथा कई लोगों को मनमाने तरीके से फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के जरिए फर्जी तरीके से आवास आवंटन की शिकायत की गई थी, जिसमें नगर पंचायत के तत्कालीन अधिशासी अधिकारी राजेंद्र प्रसाद द्वारा साजिश करके शासनादेश के विपरीत आवास आवंटन करवाया था। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों और नगर पंचायत के अध्यक्ष और सभासदों के परिजनों के साथ-साथ नगर पंचायत के कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों को भी आवास आवंटित कर दिया गया था।


राजेंद्र प्रसाद के ऊपर इस बात की शिकायत थी कि उन्होंने जानबूझकर अपने कर्मचारियों के सगे संबंधियों पुत्र-पुत्रियों, भाई, माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों को आवास आवंटित करके गरीबों के हक पर डाका डाला है और अपात्रों को इसका लाभ देते हुए पात्रों को चयन सूची से बाहर कर दिया। तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा करायी गयी थी जांच जिला अधिकारी चंदौली (dm chandauli) के द्वारा इस मामले की अपर जिलाधिकारी के जांच कराई गई थी और 24 जनवरी 2011 को हुई जांच में प्रथम दृष्टया इस आवंटन सूची को गलत ठहराया गया और उक्त आवास आवंटन में कर्मचारियों एवं अन्य लोगों के शामिल होने के कारण और गलत एवं फर्जी दस्तावेजों और तथ्यों के आधार पर चंदौली तहसील के राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलीभगत करके बनाए गए फर्जी आय एवं कर्मचारियों के निवास प्रमाण पत्रों के आधार पर आवंटित आवास को रद्द कर दिया गया। इस मामले में बताया गया है कि जांच रिपोर्ट में 41 में से 40 आवास को गलत तरीके से आवंटित किए गया बताया गया था।

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