अंबेडकरनगर: जलालपुर तहसील में भ्रष्टाचार का बोल-बोला, क्या लग सकती है लगाम

अंबेडकरनगर: जलालपुर तहसील में भ्रष्टाचार का बोल-बोला, क्या लग सकती है लगाम

अम्बेडकरनगर। जलालपुर तहसील में इस समय अवैध वसूली, रिश्वतखोरी, फर्जी दस्तावेजों के सहारे खारिज दाखिल कराने का मामला अपने चरम पर है। जिसको लेकर आए दिन नए-नए मामले देखे जा रहे हैं। बीते कुछ दिनों पूर्व नायब तहसीलदार के कोर्ट पर पेशकार के रिश्वत लेते हुए एक वीडियो वायरल हुआ था जिसको लेकर तहसील परिसर की काफी किरकिरी हुई थी।


- सत्यम सिंह






 जो फरियादी न्यायालय के माध्यम से न्याय की लड़ाई लड़ता है ऐसे मामले उसकी विश्वसनीयता पर कुठारधात करता है। हालांकि मामले को संज्ञान में लेते हुए जलालपुर उप जिलाधिकारी ने नायब तहसीलदार को जांच के लिए सौंपा था जो एक ठंडे बस्ते में डाल दिया। हाल ही में कुछ ऐसे मामले आए हैं जिसमें फर्जी तरीके व आंख मिचौली के माध्यम से दाखिल खारिज करने का मामला सामने आया। हालांकि पीड़ितों के द्वारा मामला संज्ञान में आने पर शिकायत किया गया जिस पर कार्यवाही भी किया गया। ऐसे मामले से यह आंकड़ा लगाया जा सकता है कि जलालपुर तहसील में उपजिलाधिकारी के उदासीनता के कारण अवैध वसूली और रिश्वतखोरी अपने चरम पर है। फरियादियों के अपने छोटे मोटे काम व न्याय के लिए बार-बार अधिकारियों की अपेक्षा मुंशी के चक्कर लगाते हुए देखा जा सकता जिसके चलते फरियादी अपने काम को करवाने के लिए रिश्वत देने को मजबूर है।जैसा की हर व्यक्ति ग्रामीण क्षेत्र हो या शहर में हर किसी को तहसील से सीधा वास्ता रहता है जहां हर काम के लिए अधिकारियों से मिलना रहता है लेकिन जलालपुर तहसील परिसर में अधिकारियों कर्मचारियों का अपेक्षा अधिकारियों के मुंशी की भूमिका अहम बन गई है। खसरे का नकल लेना हो या नकल देखना हो या और कोई काम कराना हो तो बगैर जेब ढीली की तहसील में कोई काम नहीं होता। यदि बगैर लेनदेन के काम कराने वालों की मंशा रखने वाले लगातार चक्कर लगाते रह जाते हैं जिसके कारण तहसील में रिश्वतख़ोरी का अड्डा बन चुका है। बीते कुछ माह पूर्व जिलाधिकारी ने तमाम शिकायतों के बाद कई कर्मचारियो को बाहर का रास्ता दिखाया था लेकिन बाद में वही कर्मचारी दोबारा उसी पद पर नियुक्ति कर लिया गया । 


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