अथ श्री वेलेंटाइन वीक कथा...!

अथ श्री वेलेंटाइन वीक कथा...!

सुना आपने। वैलेंटाइन वीक आ रहा है। सात से चौदह फरवरी। विभिन्न 'डे' का यह महापर्व है। मसलन रोज- डे,प्रपोज-डे, चॉकलेट-डे, टेडी-डे, प्रोमिस-डे, हग-डे, किस-डे और अंत में वेलेंटाइन्स-डे। हाल ही में बजट प्रस्तुत हो चुका अनारकली घर से बाहर नहीं निकल रही है, क्योंकि बजट में उपरोक्त सभी -डे के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया। 


- सुनील कुमार महला








अब बजट-डे रोज तो आता नहीं, इसलिए अनारकली अपने बिस्तर पर लेटी हुई है। घोर दुखी है। बजट में प्रपोज यानी कि 'वैलेंटाइन वीक' का कोई प्रस्ताव नहीं रखा गया। वेलेंटाइन वीक यानी 'प्यार के इजहार का वीक' बजट का वीक प्वाइंट था। जबकि आज सारा 'जग' वेलेंटाइनमय है। माना कि बजट में फोन सस्ते कर दिए, कैमरे के लैंस भी सस्ते कर दिए, मोबाइल से फोटूए खींच सकते हैं, हाय जानू-हैलो जानू करने का मौका मिल गया लेकिन अनारकली घोर उदास होकर ये खूबसूरत सी परी- हूर कमरे में बैठी किलो-किलो के आंसू बहा रही है। 



वैसे तो अनारकली फिल्म 'मुग़ल-ए-आजम' में थी, लेकिन उसे फिल्म बैजू-बावरा का गीत बहुत पसंद है और किलो किलो के आंसू बहाती हुई वह गा रही है- ' जो मैं ऐसा जानती के प्रीत किये दुख होय...ओ नगर ढ़िढ़ोरा पीटती के प्रीत न करियो कोय...(जैसे फाइनेंस मिनस्टर को संबोधित कर रही है)। बजट में वेलेन्टाइन का ध्यान नहीं रखा। आगे गा रही है-' मोहे वेलेंटाइन को भूल गए सांवरिया( फाइनेंस मिनिस्टर), भूल गए सांवरिया-2, आवन कह गये (मतलब कि आपने बजट में वेलेंटाइन वीक हेतु कुछ स्टेशन घोषणा किए जाने का वादा किया था), अजहु न आये (मतलब पूरा बजट पेश हो गया ,कहीं भी वेलेंटाइन का जिक्र तक नहीं आया), लीनी न मोरी(मतलब वेलेंटाइन वीक की) खबरिया..मोहे भूल गए सांवरिया....!' 



सलीम अनारकली के आंसू पौंछते हुए उसे दिलासा दे रहा है, अनारकली को दिलासा दे रहा है और फिल्म-'आई मिलन की रात का गीत गुनगुना रहा है-'मत रो मेरे दिल, चुप हो जा, हुआ सो हुआ(मतलब बजट पेश हो गया) मत रो मेरे दिल, चुप हो जा(अगली बार फाइनेंस मिनिस्टर इस पर जरूर ध्यान देंगे), हुआ सो हुआ, वो जो अक्सर ,'बजट' में होता है, ऐतबार( विश्वास) में होता है तेरे साथ भी यार मेरे, वही तो हुआ...।' अनारकली फिर क्विंटल के आंसू बहाते हुए सलीम से गाकर कहने लगी-' मैं उसके लिए( बजट बनाने वाले के लिए) मर चुकी हूँ, वो भी मेरी यादों में पल-पल बिल्कुल नहीं मर रहा है तो कह दो उसे( बजट वाले को) कि उन यादों की( जिसमें वेलेंटाइन नहीं है) की चिता बना के जला दे, उस चिता से उठता धुआँ भी मेरे 'वेलेंटाइन वीक' का ही होगा...ऐतबार नहीं करना, इंतज़ार नहीं करना( अब बजट का बिल्कुल भी इंतजार करने की जरूरत नहीं है) ऐतबार नहीं करना(बजट वालों का कोई भी भरोसा नहीं कि वे क्या से क्या घोषणा कर दें) इंतज़ार नहीं करना हद से भी ज़्यादा 'बजट' से प्यार नहीं करना, हद से भी ज़्यादा मेरी तरफ'बजट' से प्यार नहीं करना...!' 



अनारकली का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है, सेरेडॉन की टेबलेट भी नहीं मिल रही है, सलीम बेहद दुखी हैं। लेकिन हिम्मत से दुनिया कायम है और सलीम अनारकली को लगातार ढ़ाढ़स बंधा रहा है और गा रहा है- 'मालिश तेल मालिश...चम्पी...सर जो तेरा चकरायेया दिल डूबा जाये( जैसा कि बजट में वेलेंटाइन का प्रावधान न होने से अनारकली का दिल डूब रहा है)...आजा प्यारे(मतलब अनारकली) पास हमारे...काहे घबराय काहे घबराय...तेल मेरा है मुस्की...गन्ज रहे ना खुस्की...जिस के सर पर हाथ फिरा दूँ, चमके किस्मत उसकी...तेल मेरा है मुस्की...गन्ज रहे ना खुस्की...जिस के सर पर हाथ फिरा दूँ...चमके किस्मत उसकी।' सलीम मालिश कर रहा है, अनारकली के बालों को सहला रहा है। अनारकली का सिरदर्द ठीक हो गया। अनारकली गहरी नींद में सो गई। वेलेंटाइन के सपने आ रहे हैं, जीवन धन्य हो गया, सपने में ही वेलेंटाइन मन गया। अथ श्री वेलेंटाइन वीक कथा समाप्तम्।





सुनील कुमार महला, स्वतंत्र लेखक व युवा साहित्यकार



आर्टिकल का उद्देश्य पाठकों का स्वस्थ मनोरंजन करने तक ही सीमित है, किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना इस आर्टिकल का उद्देश्य नहीं है।

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