इति श्री चमचा महाकाव्या

इति श्री चमचा महाकाव्या

- रामविलास जांगिड़ 








चमचा महाकाव्य की गति जोरों पर है। इसे समझने पर संसार के सभी दुखों का नाश हो जाता है। चमचा- संस्कृत धातु चम् से चम्मच की व्युत्पत्ति लगती है। चम् धातु में पीना, कण्ठ में उतारना, गटकना, एक सांस में चढ़ाना, चाटना, पी जाना, सोखना जैसे भाव हैं। चम् धातु में दृष्य तौर पर चाटने एवं चाटते रहने का भाव भी छुपा है। रीढ़ की हड्डी विहीन विशिष्ट जंतु! देश में ऐसे लोगों को सम्मान भाव की दृष्टि से निहारा जाता है। इन सभी गुणों से युक्त जीव को चमचा कहकर उसका स्तुति गान किया जाता है। 



चमचागिरी- जिसके ऊपर दलाल की कृपा होती है। वह जो किसी दूसरे के थूके हुए हो चाटने की कलाकारी में सिद्ध पुरुष बन जाता हो। ऐसे सिद्ध पुरुष को चमचागिरी का ताज दिया जाता है। चमचाइन- चमचोपनिषद में वर्णित सभी मंत्र, सिद्धांत, व्याख्यान आदि को आत्मसात करने वाली भद्र महिला को चमचाइन कहते हैं। ऐसी किसी भी अन्य महिला को भी चमचाइन कहा जाता है, जो किसी ख्याति प्राप्त लब्ध प्रतिष्ठित चमचे की पत्नी हो। चम्मू- चमचा व चमचाइन आपस में एक दूसरे को प्यार से चम्मू कहकर पुकारते हैं। चमचा एवं चमचाइन के एकदम निजी क्षणों में उपयोग में लिया गया संबोधन शब्द। 



चमचालोजी- चमचापंथी कला एवं विज्ञान का समन्वित शास्त्र है। इस शास्त्र का विधिवत सिद्धांतिक एवं प्रायोगिक अध्ययन जिस विषय में करवाया जाता हो। चमचालेज- किसी भी मंत्री व नेता का ऐसा स्थान जहां दलालों की उपस्थिति में चमचों को विधिवत प्रशिक्षण दिया जाता हो। चमचार्पण- किसी भी सौदेबाजी, कार्यक्रम अथवा दुर्घटना में चमचे लोगों द्वारा दलाल एवं नेताओं को समर्पित की जाने वाली केस-काइंड आदि निधि अंश को चमचार्पण कहा जाता है। 


चमचालय- जिस स्थान पर भिन्न-भिन्न प्रकार के चमचे भिन्न-भिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इकट्ठे होते हैं। सभी राजकीय कार्यालय। चमचोपनिषद- चमचों से संबंधित ज्ञान, विज्ञान, कला, साहित्य, संस्कृति, दर्शन, धर्म, अध्यात्म, गणित आदि से ओत-प्रोत विभिन्न विषयों के समूहों को चमचोपनिषद कहा गया है। चमचोबिया- भक्ति की अंधता में लीन जब किसी जंतु में चमचे जैसे लक्षण पाए जाते हैं, तो उसे चमचोबिया से पीड़ित समझा जाता है। यह एक ऐसा रोग है जो अंधभक्ति से शुरू होता है। इस रोग में जातक स्वयं ही अपना थूक चाटता है और फिर उसे थूक देता है। थूकन को पुन: पुन: चाटने लगता है। 



चमचोन्नति- चमचे का पदक्रम में उन्नति पाकर क्रमशः दलाल, नेता व मंत्री हो जाना। चमचोत्सव- विभिन्न प्रकार के चमचों का इकट्ठे होकर दलाल व नेता की स्तुति में मनाया गया उत्सव। चमचासन- अपने इष्ट के सामने एक विशिष्ट आसन भंगिमाएं बनाना। तलवे चाटते हुए, स्तुति गायन, थूकन-चाटन करने आदि से संबंधित विभिन्न मन: शारीरिक परिस्थितियों को चमचासन कहते हैं। चमचाधिराज- किसी भी पार्टी के आलाकमान, कॉरपोरेट जगत के हाईफाई हेड, सरकारी कार्यालय के चीफ ऑफिसर आदि को इस उपाधि से अलंकृत किया जाता है। इन्हें अनेक चमचे, अनेक ढंग से, स्तुति गान से रिझाते हैं।






रामविलास जांगिड़



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