'मोदी खुद को प्रधानमंत्री नहीं, आपका सेवक मानता है', वाराणसी में ऐसा क्यों बोले PM; जानिए

'मोदी खुद को प्रधानमंत्री नहीं, आपका सेवक मानता है', वाराणसी में ऐसा क्यों बोले PM; जानिए

करीब चार माह बाद चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर पहुंचें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए काशीवासियों से अपना नाता जोड़ा। हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ भोजपुरी में भाषण की शुरुआत करने वाले पीएम मोदी ने कहा कि आज केंद्र में जो सरकार है। यूपी में जो सरकार है वो गरीब की चिंता करने वाली सरकार है, गरीब की सेवा करने वाली सरकार है। उन्होंने कहा कि आप लोग भले ही मुझे प्रधानमंत्री बोलें लेकिन मोदी तो खुद को आपका सेवक ही मानता है।


 





उन्होंने कहा कि काशी के विकास की चर्चा आज पूरे देश और दुनिया में हो रही है। जो भी काशी आ रहा है वो यहां से नई ऊर्जा लेकर जा रहा है।  मुझे देश-विदेश में मिलने वाले लोग बताते हैं कि वो किस तरह विश्वनाथ धाम के पुनर्निर्माण से मंत्रमुग्ध हैं। पीएम मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ डॉ संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के मैदान में बने मंच पर दोपहर 1.12 बजे  पहुंचे। 1780 करोड़ रुपये की 28 परियोजनाओं का लोकापर्ण और शिलान्यास किया। जनसभा में मौजूद हजारों की भीड़ ने हर-हर महादेव और जय श्री राम के जयघोष से पीएम का स्वागत किया। 


प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि नवरात्रि का पुण्य समय है, आज मां चंद्रघंटा की पूजा का दिन है। ये मेरा सौभाग्य है इस पावन अवसर पर आज मैं काशी की धरती पर आप सब के बीच हूं। आज काशी में पुरातन और नूतन दोनों स्वरूपों के दर्शन एक साथ हो रहे हैं।


मां चंद्रघंटा के आशीर्वाद से आज बनारस की सुख-समृद्धि में एक और अध्याय जुड़ रहा है। आज यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोप-वे का शिलान्यस किया गया है। अब जो ये रोप-वे यहां बन रहा है, इससे काशी की सुविधा और आकर्षण दोनों बढ़ेगा।  प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि अब गंगा के दोनों तरफ पर्यावरण से जुड़ा बड़ा अभियान शुरू होने वाला है। 


पीएम मोदी ने कहा कि 2014 से पहले बैंकों में खाता खोलने में भी पसीने छूट जाते थे। बैंकों से ऋण लेना तो गरीब परिवार सोच भी नहीं सकता था। आज गरीब से गरीब परिवार के पास भी जनधन बैंक खाता है। उसके हक का पैसा… सरकारी मदद आज सीधे बैंक खाते में आती है।


पीएम मोदी ने कहा कि विकास का जो रास्ता हमने चुना है, उसमें सुविधा भी है और संवेदना भी है। इस क्षेत्र में एक चुनौती पीने के पानी की भी रही है। आज यहां पीने के पानी से जुड़ी अनेक परियोजनाओं का लोकापर्ण हुआ है और नई परियोजनाओं पर काम भी शुरू हुआ है। 


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